फीरोमोन्स
फीरोमोन्स शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कार्लसन और ब्यूटेनेण्ड्ट (Karlson and Butenandt, 1959) ने किया। ये हॉर्मोन्स से मिलते-जुलते, लेकिन बहिःस्रावी ग्रन्थियों में बनने वाले ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं, जो कुछ सूचनाओं को उसी जाति के दूसरे जीवों को गन्ध या दूसरे उद्दीपनों द्वारा पहुँचा देते हैं। इन्हें एक्टोहॉर्मोन्स (Ectohormones) भी कहते हैं।
उदाहरणस्वरूप, मादा रेशम कीट बॉम्बीकॉल या जीप्लूर (Bombycol or Gyplure) नामक फीरोमोन्स का स्रावण करती है, जो नर को प्रजनन के लिए आकर्षित करता है। इसी प्रकार सामाजिक कीट जैसे-चींटियाँ, दीमक व मधुमक्खियाँ फीरोमोन्स के कारण एक स्थान पर सरलता से एकत्रित हो जाती हैं। फीरोमोन्स सूचनाओं को बहुत दूर तक संचरित करते हैं।