स्वास्थ्य शिक्षा के लाभ
बालक के स्वस्थ जीवन को सम्पूर्णता की ओर अग्रसर करने तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से परिपूर्ण बनाने में स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित लाभ हैं।
(1) सन्तुलित भोजन – संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है और स्वस्थ जीवन के लिए भोजन ही मुख्य आधार होता है। वास्तव में हमें भोजन की आवश्यकता न केवल ऊर्जा की पूर्ति के लिए बल्कि शरीर की वृद्धि एवं उसकी क्षतिपूर्ति के लिए भी होती है। यदि व्यक्ति सन्तुलित भोजन नहीं लेता है तो उसको अनेक प्रकार के रोग हो सकते हैं। जैसे – विटामिन ए की कमी से रतौन्धी, विटामिन डी की कमी से रिकेट्स तथा विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग हो सकते हैं। अत: स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए सन्तुलित भोजन आवश्यक है।
(2) शारीरिक व्यायाम – स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा व्यक्ति अपने शरीर को कसरत द्वारा लचीला एवं सुदृढ़ बनाता है। शारीरिक व्यायाम की क्रिया द्वारा पूरे शरीर को तन्दुरुस्त बनाया जा सकता है और कौनसे व्यायाम कब करने चाहिये तथा कब नहीं करने चाहिये का ज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्राप्त होता है।
(3) स्वास्थ्यप्रद आदतों का विकास – बचपन में बालक जैसी आदतों का शिकार हो जाता है वो आदतें बालक के साथ जीवनपर्यन्त चलती हैं। अत: बालक को स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने की कोशिश करनी चाहिये। उदाहरण के तौर पर साफसफाई का ध्यान, सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, खाने-पीने तथा शौच का समय निश्चित होना ऐसी स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने से व्यक्ति स्वस्थ तथा दीघार्यु रह सकता है। यह स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।
(4) प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान करना – स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जा सकती है। जिसके अन्तर्गत व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा के सामान्य सिद्धान्तों की तथा विभिन्न परिस्थितियों में जैसेसाँप के काटने पर, डूबने पर, जलने पर, अस्थि टूटने आदि पर प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान की जाती है क्योंकि इस प्रकार की दुर्घटनाएँ कहीं, कभी भी तथा किसी के साथ घट सकती हैं तथा व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है। ऐसी जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही दी जा सकती है।
(5) जागरूकता एवं सजगता का विकास – स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति सजग एवं जागरूक रह सकता है। उसके चारों तरफ क्या घटित हो रहा है उसके प्रति वह हमेशा सचेत रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति सजग एवं जागरूक रहता है।
(6) बीमारियों से मुक्ति मिलती है – स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति प्रायः बीमारियों से मुक्त रहता है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि एक स्वस्थ व्यक्ति कभी बीमार नहीं होता है। वह बीमार हो सकता है लेकिन उसमें एक सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा रोग निवारक या रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। स्वस्थ व्यक्ति बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।