कीस्टोन जातियाँ
प्रत्येक समुदाय में यद्यपि विभिन्न जातियाँ पायी जाती हैं, परन्तु समुदाय की सभी जातियाँ समान रूप से महत्त्वपूर्ण नहीं होतीं। एक या अधिक जातियाँ अन्य जातियों की तुलना में अधिक संख्या में, अधिक सुस्पष्टतया तथा अधिक क्षेत्र में फैली होती हैं। ये जातियाँ तेजी से वृद्धि करती हैं तथा समुदाय की अन्य जातियों की वृद्धि व संख्या का नियन्त्रण भी करती हैं।
इस प्रकार ये समुदाय की प्रमुख जाति या जातियाँ (dominant species) कहलाती हैं। अनेक बार यही जातियाँ, कीस्टोन जातियाँ (keystone species) कहलाती हैं, क्योंकि ये संख्या में अधिक होने के अतिरिक्त पर्यावरण को प्रमुखता से बदलने में सक्षम होती हैं। इस कारण से समुदाय का नाम भी इसी प्रमुख जाति या जातियों के नाम पर पड़ जाता है; जैसे–चीड़ वन, देवदार वन, चीड़-देवदार वन आदि।
उपर्युक्त से स्पष्ट है कि कीस्टोन जातियाँ (keystone species) या जातियों का पादप समुदाय की रचना में ही महत्त्वपूर्ण भाग नहीं होता वरन् यह उसके पर्यावरण को भी पूर्णतः प्रभावित करके रखती हैं। ये वहाँ की जलवायु को भी प्रभावित करती हैं। यहाँ तक कि ये अपने आस-पास के भौतिक पर्यावरण को परिवर्तित करके अपना एक सूक्ष्म जलवायु क्षेत्र (microclimatic region) ही बना लेती हैं जो उस वृहत् जलवायु क्षेत्र (macroclimatic zone) से अत्यधिक भिन्न भी हो सकता है। एक स्वच्छ धूप वाले दिन किसी घने वृक्ष के नीचे तथा खुले क्षेत्र की जलवायु अर्थात् तापमान, आपेक्षिक आर्द्रता, प्रकाश तीव्रता (temperature, relative humidity, light intensity) आदि में तुलना की जा सकती है।
कीस्टोन जातियाँ मृदा की रचना, मृदा रसायन एवं खनिजों के स्तर, ह्युमस आदि को भी परिवर्तित तथा प्रभावित करने में सक्षम होती हैं। अनेक बार मृदा में उपस्थित सूक्ष्मजीव भी कीस्टोन जातियों के उदाहरण होते हैं, ऐसे में वे मृदा के पर्यावरण के साथ-साथ मृदा के बाहर के पर्यावरण को बदलने में भी पूर्ण प्रभाव रखती हैं।
ये जातियाँ भू-जैवीय-रासायनिक चक्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाकर, कार्बनिक पदार्थों को अपघटित करके, ह्यूमस बढ़ाना, मृदा की उपजाऊ शक्ति बढ़ाना, जल को उपयोगी व प्राप्य जल के रूप में मृदा में स्थित रखना आदि अनेकानेक प्रभाव दिखाती हैं तथा ये प्रभाव मृदा पर जातियों को बसने, उन्हें भली-भाँति वृद्धि करने आदि के लिए प्रोत्साहित ही नहीं करते, बल्कि इन प्रक्रियाओं में उनका पूर्ण सहयोग भी करते हैं।
कीस्टोन प्रजातियाँ सूक्ष्म जलवायु, मृदा की बनावट तथा मृदा रसायन एवं खनिजों के स्तर को भी प्रभावित और परिवर्तित करने में सक्षम होती हैं। इनके प्रतिकूल प्रभाव वहाँ के भौतिक पर्यावरण में शीघ्र ही दिखाई देने लगते हैं, जो वहाँ के समुदायों पर बाहरी समुदायों के आक्रमण के रूप में परिलक्षित होते हैं। ऐसे ही परिवर्तनों से किसी स्थान विशेष पर अनुक्रमण (succession) सम्पन्न होते हैं।