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Pratham Singh in Biology
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ओजोन क्षरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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Deva yadav

ओजोन परत

ओजोन परत (ozone layer) जिसे ओजोन मण्डल (ozonosphere) भी कहते हैं, समतापमण्डल के निचले तथा क्षोभमण्डल के ऊपरी (बाहरी) भाग में स्थित है। यह भाग 15 से 30 किमी ओजोन गैस (O3) की एक मोटी परत होती है। यह गैस ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी हुई होती है। इसमें एक विशेष प्रकार की तीखी गंध होती है तथा इसका रंग नीला होता है। ओजोन सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों प्रमुखतः पराबैंगनी किरणों (ultraviolet rays) को पृथ्वी पर आने से रोककर पृथ्वी और उसके जीवधारियों के सुरक्षा कवच (protection shield) के रूप में कार्य करती है।

ओजोन परत को हानि
वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषक ओजोन परत या ओजोनमण्डल (ozonosphere) को हानि पहुँचा सकते हैं। उदाहरण के लिए समतापमण्डल में क्लोरीन गैस के पहुंचने से ओजोन की मात्रा में कमी आ जाती है।
क्लोरीन का एक परमाणु 1,00,000 ओजोन अणुओं को नष्ट कर देता है। ये क्लोरीन परमाणु क्लोरोफ्लोरोकार्बन (chloroflorocarbon = CFCs) के विघटन से बनते हैं। इनकी रासायनिक क्रिया इस प्रकार है –
Cl + O3 → ClO + O2
ClO + O – Cl + O2

फ्रेऑन (freon) सबसे अधिक घातक क्लोरोफ्लोरोकार्बन है, इसका प्रयोग प्रशीतन (रेफ्रिजरेशन) वातानुकूलन, गद्देदार सीट या सोफों में प्रयुक्त फोम, अग्निशामक प्लास्टिक, ऐरोसॉल स्प्रे आदि में होता है। उद्योगों में CFCs का उत्पादन लगातार होता है। इस प्रकार अत्यधिक औद्योगीकरण, 15 किमी से अधिक ऊँचाई पर उड़ने वाले जेट विमान, परमाणु बमों के विस्फोट आदि से निकली विषैली गैसे जिसमें क्लोरीन यौगिक तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड्स होते हैं, ज्वालामुखी विस्फोट से निकली हाइड्रोजन क्लोराइड तथा फ्लोराइड आदि गैसें ओजोन परत के अवक्षय के लिए जिम्मेदार हैं। इन सभी विषैली गैसों के कारण ओजोन परत की मोटाई लगातार घटती जा रही है और उसमें जगह-जगह पर छिद्र हो रहे हैं।

ओजोन परत का महत्त्व
सूर्य से प्राप्त पराबैंगनी किरणों, जिन्हें ओजोन परत रोकती है, से सीधा सम्पर्क मनुष्य, अन्य जीव- जन्तु, वनस्पति आदि में रोग प्रतिरोधक क्षमता का अवक्षय करता है। मनुष्य में त्वचा का कैन्सर, आँखों में मोतियाबिन्द, अन्धापन आदि रोगों की वृद्धि होती है। समुद्री तथा स्थलीय जीव-जन्तु, कृषि, उपज, वनस्पति एवं खाद्य पदार्थों पर भी इन पराबैंगनी किरणों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इनसे भूपृष्ठीय तापमान बढ़ने से विश्वतापन या पृथ्वी ऊष्मायन (global warming) का खतरा है। इससे जलवायु परिवर्तित हो जायेगी अर्थात् ओजोन परत पृथ्वी एवं उसके समस्त जीवधारियों की जीवन सुरक्षा में प्रकृति का अनुपम उपहार है और इसमें कमी (या ओजोन छिद्र) पृथ्वी के पर्यावरण के लिए भयंकर तबाही ला सकता है।

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