कार्बन चक्र
कार्बन को जीवों का आधार माना जाता है। सजीव शरीर के शुष्क भार का 49 प्रतिशत भाग कार्बन से बना होता है और जल के पश्चात् यही आता है। यदि हम भूमण्डलीय कार्बन की पूर्ण मात्रा की ओर ध्यान दें तो हम देखेंगे कि समुद्र में 71 प्रतिशत कार्बन विलेय के रूप में विद्यमान है। यह सागरीय कार्बन भण्डार वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को नियमित करता है। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड सम्पूर्ण आयतन का लगभग 0.03% होता है।
जीवाश्मी ईंधन भी कार्बन के एक भण्डार का प्रतिनिधित्व करता है। कार्बन चक्र वायुमण्डल, सागर तथा जीवित एवं मृत जीवों द्वारा सम्पन्न होता है। एक अनुमान के अनुसार जैवमण्डल में प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा प्रतिवर्ष 4 x 1013 किग्रा कार्बन का स्थिरीकरण होता है। कार्बन की कुछ मात्रा CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) के रूप में उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं की श्वसन क्रिया के माध्यम से वायुमण्डल में वापस आती है।
इसके साथ ही भूमि एवं सागरों की कचरा सामग्री एवं मृत जीवों के कार्बनिक पदार्थों के अपघटन प्रक्रियाओं के द्वारा भी कार्बन डाइऑक्साइड की काफी मात्रा अपघटकों (decomposers) द्वारा छोड़ी जाती है। यौगिकीकृत कार्बन की कुछ मात्रा अवसादों में नष्ट होती है और संचरण द्वारा निकाली जाती है। लकड़ी के जलाने, जंगली आग एवं जीवाश्मी ईंधन के जलने के कारण, कार्बोनेटी चट्टानों तथा ज्वालामुखीय क्रियाओं आदि अतिरिक्त स्रोतों द्वारा वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त किया जाता है।
यदि सड़ने- गलने की प्रक्रिया धीमी हो जाये तो कार्बन यौगिक की बहुत अधिक मात्रा का भण्डारण हो जाता है। जब ये पृथ्वी में दब जाते हैं तो इनका अपघटन नहीं हो पाता। धीरे-धीरे ये तेल एवं कोयला में परिवर्तित हो जाते हैं। तेल और कोयले को जब जलाया जाता है तो कार्बन पुनः वायुमण्डल में आ जाता है। कार्बनिक कार्बन (organic carbon) के पृथ्वी में दब जाने से लाइमस्टोन चट्टान (limestone rock) बनती है। इस चट्टान के क्षरण (weathering) से कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में पुनः वापस आ जाती है।
वायुमण्डल में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा संतुलित होती है, किन्तु मानवीय क्रियाकलापों के कारण इसका संतुलन बिगड़ रहा है। तेजी से जंगलों का विनाश तथा परिवहन एवं ऊर्जा के लिए जीवाश्मी ईंधनों को जलाने आदि से महत्त्वपूर्ण रूप से वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करने की दर बढ़ी है