उत्तर वैदिक में अर्थव्यवस्था
उत्तर वैदिक काल में लेन-देन के लिए मुद्रा के स्थान पर वस्तु विनिमय प्रणाली का उपयोग किया जाता था। इस दौरान नियमित सिक्के प्रचलन में नहीं थे।अथर्ववेद में सर्वप्रथम चांदी का उल्लेख किया गया है। शतपति ब्राह्मण में महाजनी प्रथा का उल्लेख है, इसमें ऋणदाता को कुसीदिन कहा गया है। इस काल में निष्क, शतमान, पाद, कृष्णल इत्यादि माप की प्रमुख ईकाइया थीं। अनाज मापने के लिए द्रोण का उपयोग किया जाता है।