in इतिहास
edited
उत्तर वैदिक काल में राजनीतिक स्थिति का वर्णन कीजिये

1 Answer

0 votes

edited

उत्तर वैदिक काल में राजनीतिक स्थिति

उत्तर वैदिक काल में राजनीतिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन आये।उत्तर वैदिक काल में जनजातीय व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्त होने लगी।इस दौरान कई क्षेत्रों में छोटे-छोटे राज्य अस्तित्व में आने लगे। जन का स्थान जनपद द्वारा लिया गया। अब क्षेत्रों पर आधिपत्य के लिए युद्ध आरम्भ हुए, कई कबीले व राज्यों ने मिलकर बड़े व ताकतवर राज्यों का निर्माण किया। पुरु और भरत से मिलकर कुरु की स्थापना हुई, तुर्वश और क्रिवी से मिलकर पांचाल की स्थापना हुई। इस काल में जनपरिषदों का महत्त्व समाप्त हो गया, विदर्थ पूरी तरह नष्ट हो गयी। और स्त्रियों को सभा की सदस्यता से बाहर रखा गया। इस दौरान राजा अधिक शक्तिशाली थे, राज्य पर उसका पूर्ण अधिकार व नियंत्रण था।

उत्तर वैदिक काल में राज्यों का क्षेत्रफल अपेक्षाकृत बड़ा था। इस दौरान क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से युद्ध किये जाने लगे।राज्यों के क्षेत्रफल में वृद्धि होते से राजा शक्तिशाली बने, इस दौरान राष्ट्र शब्द का उपयोग आरम्भ हुआ। राजा को चुनाव के द्वारा चुना जाता था,वह प्रजा से भेंट अथवा चढ़ावा प्राप्त करता था। इस चुने हुए राजा को “विशपति” कहा जाता था। शतपथ ब्राह्मण में उस राजा के लिए राष्ट्र नामक शब्द का उपयोग किया गया है, जो निरंकुशतापूर्वक प्रजा की सम्पति का उपभोग करता है। बलि के अतिरिक्त भाग और शुल्क नामक कर का उल्लेख भी किया गया है।

Related questions

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...