रॉलैट ऐक्ट (1919)
रॉलैट ऐक्ट को इंपीरियल लेगिस्लेटिव काउंसिल ने 1919 में पारित किया था। भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद यह ऐक्ट पारित हो गया था। इस ऐक्ट ने सरकार को राजनैतिक गतिविधियों को कुचलने के लिये असीम शक्ति दे दी थी। इस ऐक्ट के मुताबिक बिना ट्रायल के ही राजनैतिक कैदियों को दो साल तक के लिये बंदी बनाया जा सकता था।
रॉलैट ऐक्ट के विरोध में गांधीजी ने 6 अप्रैल 1919 को राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत की। गांधीजी ने हड़ताल का आह्वान किया जिसे भारी समर्थन मिला। विभिन्न शहरों में लोग इसके समर्थन में निकल पड़े। दुकानें बंद हो गईं और रेल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर चले गये। अंग्रेजी हुकूमत ने इस आंदोलन के खिलाफ कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया। कई स्थानीय नेताओं को बंदी बना लिया गया। महात्मा गांधी को दिल्ली में आने से रोका गया।