व्यापारिक गतिविधियाँ
मौर्यकाल में अंतर्देशीय व्यापार के साथ-साथ विदेशी व्यापार भी किया जाता था। इस दौरान कुछ वस्तुओं व्यापार राज्य द्वारा भी किया जाता था, उन वस्तुओं को राजपण्य कहा जाता था। मौर्यकाल में देशी उत्पादों पर 4% तथा आयातित वस्तुओं पर 10% बिक्री कर वसूल किया जाता था।
व्यापारिक गतितिविधियों पर राज्य का नियंत्रण था। विदेशी व्यापार के लिए इस काल में ताम्रलिप्ति पूर्वी तट का महत्वपूर्ण बंदरगाह था, जहाँ से श्रीलंका के लिए जहाज़ जाते थे। पश्चिमी तट पट भड़ौच तथा सोपारा प्रमुख बंदरगाह थे।