तार पर बैठे पक्षियों को करंट क्यों नहीं लगता, इसे जानने के लिए आपको दो मूलभूत जानकारियों को जानना आवश्यक है -
पहला यह कि किसी भी विद्युत सर्किट में विद्युत धारा का प्रवाह तब तक नहीं हो सकता जब तक कि सर्किट पूर्णतः बंद न हो। सर्किट में विद्युत धारा का प्रवाह करने के लिए फेज और न्यूट्रल दोनों तार आवश्यक होते हैं। अगर सर्किट कहीं से भी खुला हुआ है तो विद्युत धारा का प्रवाह नहीं हो सकता।
दूसरा यह कि किसी सर्किट के दो बिंदुओं के बीच विद्युत धारा का प्रवाह होने के लिए उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर अथवा वोल्टेज का होना आवश्यक है। साथ ही प्रवाहित विद्युत धारा का परिमाण कितना होगा यह उन दो बिंदुओं के बीच वोल्टेज और प्रतिरोध पर निर्भर करता है। अगर वोल्टेज ज्यादा और प्रतिरोध कम हो तो विद्युत धारा का प्रवाह भी ज्यादा होता है।
आइए देखते हैं कि तार पर बैठे पक्षियों को करंट क्यों नहीं लगता, इसके दो मुख्य कारण हैं -
जब कोई पक्षी किसी तार पर बैठता है तो वह सामान्यतः एक तरह की तार होती है अर्थात या तो फेज अथवा न्यूट्रल में से कोई एक हो सकती है। चूंकि सर्किट को पूरा करने के लिए फेज और न्यूट्रल दोनों आवश्यक होते हैं इसलिए स्पष्ट है कि पक्षी के शरीर से होकर करंट नहीं जाएगी। हां, अगर गलती से पक्षी के शरीर का कोई भाग फेज के साथ-साथ न्यूट्रल को भी टच कर रहा है तो उस स्थिति में पक्षी के शरीर से होकर करंट जाएगी और उसकी मौत भी हो सकती है।
जब पक्षी किसी तार पर बैठता है तो उसके दोनों पैर बहुत पास पास होते हैं अर्थात तार के जिन दो बिंदुओं के बीच पक्षी बैठता है उन दोनों बिंदुओं के बीच दूरी बहुत ही कम होती है। इसलिए उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर बहुत ही कम होता है और पक्षी के शरीर का प्रतिरोध बहुत ही ज्यादा होता है। स्पष्ट है कि यहां वोल्टेज बहुत कम और प्रतिरोध बहुत ज्यादा है इसलिए भी पक्षी के शरीर से कोई करंट नहीं जाती है।
यहां आपके मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि अगर पक्षियों को करंट नहीं लगता तो इंसान को भी नहीं लगना चाहिए। यह सही भी है। वास्तव में अगर आप किसी एक फेज तार से लटके हुए हैं तो आपको करंट नहीं लगेगा। लेकिन सामान्यतः हम लोग पृथ्वी के संपर्क में होते हैं इसलिए जब हम किसी फेज तार को टच करते हैं तो उस बिंदु और पृथ्वी के बीच विभवांतर होने के कारण हमें करंट लगता है।