अन्तरिक्षमे अनेक ग्रह और तारे अपने गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव बनाये हुए रहते हैं। गृत्वकर्षण उस ग्रह या तारसे जैसे दूरी बढ़ती हैं तो कमजोर होजाता हैं।
चन्द्रमा के गुरुत्वा कर्षण से समुन्दर में लहरे निर्माण होती है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण, तालाब जो समुन्दर की तुलना में बहूत छोटे (विस्तार में) होते हैं उनमें कोई भी लहरे निर्माण नहीं कर पाता। अतः गुरुत्वाकर्षण कितना शक्तिशाली प्रभाव निर्माण करपता है इसपर परिणाम का स्वरुप निश्चित होता है।
सूर्य माला में स्थीत सभी ग्रहों का निर्माण सूरज से ही हुआ हैं। Supernova नामक एक शक्ती शाली तारा अरबो साल पहले सूरजकी नाजदीकिसे चल पड़ा। अतः Supernova के गुरुत्वाकर्षण के प्रभावसे सूरज पर लहरे निर्माण होगयी। इना लहारोंसे कुछ छीटे अंतराल में गिर पड़ी। ये सारी वायू रूपी गर्म गोले ही थे। करोडो साल अंतराल में मंडराते अनेक गुरुत्वाकर्षणा प्रभावसे निकल पड़ी। इस कारण से इन में बहूत सारे बदलाव हो गए। वायु रूपसे घन रूप में बदल गए। इनकी मात्रा में बदलाव हुआ। परिणाम स्वरुप इनकी परिक्रमा मार्ग, गुरुत्वाकर्षण और घृमान में भी अनेक परिवर्तन हो गए।
इसके कारणही सूर्य माला के सभी ग्रह अपनी अपनी परिक्रमा और घृमान में स्थीर होगये। चन्द्रमा के मात्रा के कारण उसमे kinetic Energy प्रस्थापित हो गयी हैं। यह शक्ति उसे परिक्रमा में स्थीरता बहाल करती हैं। अतः चंद्रमा परिक्रमा से हटजाना असंभव हैं।
Kinetic Energy -
आप दो अलग वजन के गेंद से इसका अनुभव करसकते हैं।
आप कोईभी एक गेंद उपरकी तरफ फेके। पहले गेंद ऊपर की दिशा में चला जायेगा और कुछ सेकंद के बाद नीचे उतरेगा।
अब यही काम दुसरे गेंद के साथ किंजीए।
दोनों गेंद तो आपने ही बारी बारी से फेके हैं । इसलिए मानते हैं की आपने सामान शक्ति दोनों गेंद में भरी हैं। फिरभी जो गेंद थोडासा भारी हैं वह ज्यादा समय (कुछ सेकंद) ऊपर रहेगा। यानी उसमे ज्यादा kinetic energy समायी गयी थी।
अब कल्पना करे की आपकी हाथ की ताकत बढ़ा दी जाए और योग्य मात्रा (वजन) वाला गेंद दिया जाय तो आप उसे चन्द्रमा की तरह अंतराल में फेंक पाएंगे। और वही गेंद किसी परिक्रमा में स्थीर हो जाय। आप सिर्फ उसे देख तो पाएंगे मगर वापस तो कभी नहीं पाएंगे।
हम सैटेलाइट्स भी रॉकेट के जरिये ऐसेही परिक्रमा में प्रस्थापित करदेते हैं और वो अपनी जगहसे सालोसाल हटते नहीं।