सम्प्रेषण को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक या घटक हैं:-
1. छात्र
आज के बाल केन्द्रित शिक्षण में प्रमुख तत्त्व छात्र स्वयं है। अत: छात्र/छात्राओं की आयु, मूल आकांक्षाएँ, बौद्धिक स्तर तथा आदतें या मनोभावनाएँ शिक्षण-सम्प्रेषण को प्रभावित करते हैं।
2. शिक्षण के उद्देश्य
अध्यापकों को शिक्षण एवं विषय से सम्बन्धित शिक्षण के उद्देश्यों की जानकारी होनी चाहिये ताकि अपेक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु वह पर्याप्त साधन एवं सुविधाएँ शिक्षण हेतु जुटा सकें। अतः शिक्षण के उद्देश्य भी सम्प्रेषण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
3. शिक्षक का व्यक्तित्व
शिक्षक का व्यक्तित्व शिक्षण सम्प्रेषण को प्रभावी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है; जैसे- विषय पर उसका स्वामित्व, छात्रों के प्रति मृदु व्यवहार, ऊँची आवाज, निष्पक्षता, चरित्र तथा उसकी योग्यता की छाप बालक पर पड़े बिना नहीं रहती।
4. विषयवस्तु का चयन
शिक्षार्थियों के लिये पठनीय, सरल पदों में क्रमबद्ध तरीके से सम्बद्ध विषय का अध्ययन शिक्षण को प्रभावी बनाता है और बालक रुचि के साथ विषय को समझते हैं। इस प्रकार सीखने का वातावरण सृजित होता है तथा आगे बढ़ने की प्रेरणा विकसित होती है।
5. पाठ्य योजना का निर्माण
यदि शिक्षण सम्प्रेषण में सुव्यवस्थित रूप से पाठ्य योजना का निर्माण कर लिया जाता है तो वह प्रभावकारी होता है क्योंकि उसमें शिक्षण सम्प्रेषण के उद्देश्य समाहित हैं।