प्रजातन्त्र शासन प्रणाली में जनता की इच्छा को वरीयता देते हुए उसका सम्मान किया जाता है। यह शासन प्रणाली मानवीय सम्बन्धों पर आधारित होती है। इस प्रकार की शिक्षण प्रणाली में शिक्षक और छात्र दोनों सक्रिय रहते हैं और उनके मध्य शाब्दिक और अशाब्दिक अन्त:क्रिया चलती रहती है।
इस प्रणाली में बालक को तर्क करने, वार्तालाप करने, प्रश्न करने, उत्तर पाने तथा अन्य प्रकार के वार्तालाप करने का अवसर मिलता है। प्रजातन्त्रात्मक शिक्षण में शिक्षक एवं छात्र दोनों एक-दूसरे के व्यक्तित्व को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं।
एन. एल. गेज के अनुसार - "शिक्षण प्रक्रिया में पारस्परिक प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है, जिसमें दूसरों की व्यावहारिक क्षमताओं के विकास का लक्ष्य होता है।"
एडमण्ड एमीडोन ने लोकतन्त्रात्मक शासन में शिक्षण की परिभाषा इस प्रकार दी है- "शिक्षण को एक अन्तःक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, मुख्य रूप से जिसके अन्तर्गत कक्षा-कथनों को सम्मिलित किया जाता है, जो शिक्षक तथा छात्र के मध्य परिचालित होते हैं। कक्षा-कथन का सम्बन्ध अपेक्षित क्रियाओं से होता है।"