हम दैनिक जीवन में कहते हैं कि वह एक अच्छा नेता है, वह अच्छा शिक्षक है, वह श्रेष्ठ पत्रकार है या वह सफल व्यापारी है। इससे तात्पर्य है कि उसकी बुद्धि बहुत अधिक तीव्र है, जिसका प्रयोग वह विभिन्न क्षेत्रों में करता है।
किन्तु दूसरी ओर हम कहते हैं कि अमुक विद्यार्थी तीन विषयों में फेल हो गया तथा अमुक व्यक्ति का व्यवहार मूखों जैसा है तो लगता है कि उसकी बुद्धि बलवती नहीं है। इसका सम्बन्ध बुद्धि को तीव्रता तथा निर्बलता से माना जाता है।
बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है, जो जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो । पूर्व में यह विचार था कि पदार्थ-सोना, लोहा तथा पत्थर जो मूर्त रूप में है, उनका ही मापन किया जा सकता है, परंतु विचारों का मापना कठिन है। अर्थात् बुद्धि एवं संवेग का जिनका विचारों से सम्बन्ध है, मापन कैसे किया जाये?
थॉर्नडाइक ने इस सम्बन्ध में यह कहा है कि "जो कुछ वस्तु है, वह एक मात्रा में रहती है और यदि वह मात्रा में है तो उसकी माप की जा सकती है।"
बुद्धि की परिभाषा
बुद्धि की आत्मा एक ही है परन्तु बुद्धि की परिभाषा अनेक मनोवैज्ञानिकों ने उसके स्वरूप के आधार पर अलग-अलग निम्न प्रकार दी है-
थॉर्नडाइक (Thorndike) के शब्दों में-
"वास्तविक परिस्थिति के अनुसार अपेक्षित प्रतिक्रिया की योग्यता ही 'बुद्धि' है।" (Intelligence is the ability to motive profitable use of past experience.)
टरमैन (Terman) के अनुसार-
"अमूर्त वस्तुओं के विषय में सोचने की योग्यता ही 'बुद्धि' है।" (Intelligence is a capacity to think well, to judge well and to be self critical.)
बुद्धि के प्रकार
(Types of Intelligence)
थार्नडाइक के अनुसार- बुद्धि अनेक प्रकार की शक्तियों का समूह है, इसलिये उन्होंने स्थूल दृष्टि से बुद्धि के तीन प्रकार बताये-
- अमूर्त बुद्धि
- सामाजिक बुद्धि
- यान्त्रिक बुद्धि
सामाजिक बुद्धि (Social intelligence)
अपने समाज के अनुकूल व्यवस्थित करने की योग्यता ही सामाजिक बुद्धि कहलाती है। परस्पर सद्भाव, सहयोग, सद्व्यवहार तथा अन्य रुचि के साथ सामाजिक कार्यों में भाग लेना, 'सामाजिक बुद्धि' है। जीवन की
सफलता के लिये 'सामाजिक बुद्धि' का ज्ञान एवं प्रयोग आवश्यक है।