थार्नडाइक के अनुसार- बुद्धि अनेक प्रकार की शक्तियों का समूह है, इसलिये उन्होंने स्थूल दृष्टि से बुद्धि के तीन प्रकार बताये-
- अमूर्त बुद्धि
- सामाजिक बुद्धि
- यान्त्रिक बुद्धि
1. अमूर्त बुद्धि (Abstract intelligence)
पुस्तकीय ज्ञान के प्रति अपने को व्यवस्थित करने की योग्यता अमूर्त बुद्धि है। शाला में बुद्धि परीक्षाओं द्वारा बालकों की विशिष्ट योग्यता, रुचि, रुझान एवं प्रवृत्ति के बारे में जानकारी मिलती है। इसके द्वारा पढ़ने,
लिखने, प्रतीकों एवं सूत्रों का हल तथा अन्य समस्याओं का हल आसानी से किया जा सकता है। ज्ञानोपार्जन 'बुद्धि' पर निर्भर करता है।
अमूर्त बुद्धि त्रिमुखी है। स्तर, क्षेत्र और वेग अथवा गति ही उसकी तीन विभिन्न क्रियाएँ हैं। कठिनाई स्तर को समझना, कार्य की सक्षमता का आभास करना तथा कार्य करने की गति को समझना है।
2. सामाजिक बुद्धि (Social intelligence)
अपने समाज के अनुकूल व्यवस्थित करने की योग्यता ही सामाजिक बुद्धि कहलाती है। परस्पर सद्भाव, सहयोग, सद्व्यवहार तथा अन्य रुचि के साथ सामाजिक कार्यों में भाग लेना, 'सामाजिक बुद्धि' है। जीवन की
सफलता के लिये 'सामाजिक बुद्धि' का ज्ञान एवं प्रयोग आवश्यक है।
3. यान्त्रिक बुद्धि (Mechanical intelligence)
व्यक्ति में यह योग्यता यन्त्री तथा मशीनों के साथ अनुकूलन की योग्यता है। इस योग्यता या दक्षता के आधार पर व्यक्ति कुशल कारीगर, चालक, मिस्त्री या इन्जीनियर बन सकता है। इस प्रकार वह इन परिस्थितियों में, जिनका सम्बन्ध यन्त्रों एवं भौतिक पदार्थों से होता है, अपने को समायोजित एवं सुव्यवस्थित कर लेता है।
इस दक्षता को अभ्यास द्वारा बढ़ाया जा सकता है। इस दक्षता के अभाव में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को नहीं कर पाता तथा दब्बू व्यक्तित्व का व्यक्ति रह जाता है।