त्रिखण्ड बुद्धि सिद्धान्त (Three factors theory of Intelligence)
स्पीयरमेन ने सन् 1904 में अपने पूर्व बुद्धि के द्विकारक सिद्धान्त में संशोधन करते हुए एक कारक और जोड़कर बुद्धि के त्रिकारक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। बुद्धि के जिस तीसरे कारक को उन्होंने अपने सिद्धान्त में जोड़ा उसे उन्होंने 'समूह कारक' (ग्रुप फेक्टर) कहा। अतः बुद्धि के इस सिद्धान्त में तीन कारक- सामान्य कारक, विशिष्ट कारक, समूह कारक सम्मिलित किये गये हैं।
थार्नडाइक के अनुसार- बुद्धि अनेक प्रकार की शक्तियों का समूह है, इसलिये उन्होंने स्थूल दृष्टि से बुद्धि के तीन प्रकार बताये-
- अमूर्त बुद्धि
- सामाजिक बुद्धि
- यान्त्रिक बुद्धि