संस्मरण
जब लेखक अपने निकट सम्पर्क में आने वाली विशिष्ट, विचित्र, प्रिय और आकर्षक घटनाओं, दृश्यों या व्यक्तियों को स्मृति के सहारे पुनः अपनी कल्पना में मूर्ति करके उनका शाब्दिक चित्रण करता है, तो उसे ‘संस्मरण’ कहते हैं। कल्पनाशीलता, यथार्थ चित्रण, संवेदनशीलता, अभिव्यक्ति की कुशलता आदि संस्मरण की विशेषताएँ हैं।