संस्मरण का शाब्दिक अर्थ होता है सम्यक् स्मरण, जिसके मूल में गम्भीर चिन्तन का भाव निहित होता है। मानव-जीवन की कटु, तिक्त एवं मधुर स्मृतियाँ अनुभूति और संवेदना का संसर्ग प्राप्त करके जब हृदय से निकलती हैं तब वे संस्मरण का रूप धारण कर लेती हैं।
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