पत्र-साहित्य
पत्रों के द्वारा किसी व्यक्ति से सम्बन्ध बनाकर किसी विषय पर जो लिपिबद्ध वार्तालाप प्रारम्भ किया जाता है, उसका सम्पूर्ण संकलित रूप ‘पत्र-साहित्य’ कहलाता है। इसमें लेखक किसी व्यक्ति को पत्र लिखकर किसी विषय पर उसके विचारों को जानना चाहता है। उसका उत्तर प्राप्त होने पर वह उस उत्तर का विश्लेषण करता है और उत्पन्न शंकाओं के समाधान हेतु पुनः पत्र लिखता है। इस प्रकार एक प्रक्रिया चल पड़ती है जो पत्रों के रूप में लिपिबद्ध होती जाती है। जब यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो दोनों ओर के पत्रों के उस संकलन को पत्र-साहित्य कहा जाता है।