डायरी
जब लेखक तिथि-विशेष में घटित घटनाओं को यथातथ्य तथा तिथिवार लिपिबद्ध करता है, तो उसकी वह रचना ‘डायरी’ कहलाती है। डायरी महत्त्वपूर्ण तिथियों की क्रमबद्ध घटनाक्रमों से सम्बन्धित भी हो सकती है और दैनिक-पुस्तिका के रूप में भी हो सकती है।
यथार्थ चित्रण, तिथिवार क्रमबद्धता, लेखक के निजी दृष्टिकोणों की घटना से सम्बन्धित अभिव्यक्ति आदि डायरी साहित्य की विशेषताएँ हैं। इस विधा का आविर्भाव छायावादोत्तर युग से माना जाता है।