गुप्तकाल में कला एवं विज्ञान की उन्नति
गुप्तकाल में कला के क्षेत्र में भारत ने बहुत उन्नति की। अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तथा मन्दिर बनाए गए। वे मन्दिर अजन्ता और एलोरा की तरह पहाड़ियों को काटेकर नहीं बनाए गए थे बल्कि इन्हें ईंटें और पत्थर जैसी चीजों से बनाया गया। बौद्ध विहारों में भी सुन्दर मूर्तियों का निर्माण हुआ। गुप्तकाल में वाराणसी के निकट सारनाथ में एक विशाल बौद्ध विहार था। यहाँ से बुद्ध की प्रस्तर मूर्तियाँ मिली हैं। बौद्ध विहारों और हिन्दू मन्दिरों को अनेक सुन्दर चित्रों से सजाया गया। बौद्ध विहारों की चित्रकला उच्चकोटि की थी। चित्र इतने उत्तम थे कि उन्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे आज ही बने हों।
गुप्तकाल में विज्ञान के क्षेत्र में भी काफी उन्नति हुई। आर्यभट्ट और वराहमिहिर इस काल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। दोनों ही ज्योतिष तथा गणित में प्रवीण थे। आर्यभट्ट ने यह स्पष्ट किया कि पृथ्वी गोल है। और वह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है।