सल्तनत काल में दिल्ली में सुल्तानों द्वारा कई शाही कारखाने शुरू कराए गए थे। इन कारखानों में ही टंके और ताँबे के जीतल नामक मुद्राओं का निर्माण होता था। इसी के साथ सल्तनत काल में व्यापार का विकास शुरू हुआ जिससे शहर और शहरी जीवन का और विकास हुआ।
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