प्रोटेस्टैण्ट धर्म की सफलता
1. पोप एवं उच्च पादरियों के भ्रष्ट जीवन को देखकर अनेक जिज्ञासु व्यक्तियों को प्रचलित धर्म के विषय में सन्देह होने लगा था; अतः जब लूथर ने धर्म-सुधार आरम्भ किया तो अधिकांश जनता ने उसका धर्म स्वीकार कर लिया। लूथर से पूर्व भीशिक्षित वर्ग को धर्म के विषय में अविश्वास प्रकट होने लगा था।
2. चर्च के अन्धविश्वासपूर्ण, भ्रष्ट तथा अनैतिक जीवन के विपरीत लूथर ने सरलता एवं पवित्रता का जीवन व्यतीत करने की शिक्षा दी जिसके कारण उसके असंख्य अनुयायी बन गए।
3. लूथर जिस समय जर्मनी में धर्म प्रसार का कार्य कर रहा था, उस समय पवित्र रोमन सम्राट चार्ल्स पंचम अन्य समस्याओं के समाधान में संलग्न था। यद्यपि उसने लूथर को नास्तिक | घोषित कर दिया किन्तु उसके विरुद्ध वह कोई प्रतिकारात्मक कार्यवाही करने में असमर्थ रही।
४. लूथर ने अपने धर्म का प्रचार जर्मन भाषा में किया जिसे जर्मन लोग सरलतापूर्वक समझ सकते थे। इस प्रकार राष्ट्र-भाषा के प्रसार द्वारा उसने जर्मनों में राष्ट्र-भक्ति की भावना जाग्रत कर दी तथा विदेशी पोप के स्थान पर जर्मनों ने अपने राष्ट्र के नेता का अनुसरण आरम्भ कर दिया।