राष्ट्रसंघ के सफलता के कारण
1. मजबूत राष्ट्रों की उदासीनता - राष्ट्र संघ से सदैव मजबूत तथा प्रभावशाली देशों से दूरी दूरी बनाई। इसका परिणाम यह हुआ कि संघ को इन देशों का पूर्ण सहयोग प्राप्त ना हो सका ।अमेरिका की प्रेरणा से ही यह संगठन अस्तित्व में आया था, किंतु अमेरिका ही इसका सदस्य नहीं था। इसी तरह जर्मनी और रूस भी काफी समय तक इसके सदस्य नहीं बने थे
2. राष्ट्र संघ के आदेशों का उल्लंघन - राष्ट्र संघ के संविधान के अनुसार जिन आदेशों को पारित किया गया था। उसे उसके ही सदस्य देशों के द्वारा नजर-अंदाज किया गया। संघ के अनेक सदस्य-राष्ट्रों ने इसके उद्देश्यों के अनुसार काम करने के बजाय अपने स्वार्थों को ध्यान में रखकर कार्य किया। जिससे संघ को क्षति पहुंची।
3. युद्ध को रोकने की शक्ति का अभाव - राष्ट्र संघ के पास अपने आदेशों का पालन कराने के लिए कोई साधन या दंडात्मक तथा निषेधात्मक अधिकार नहीं था। जब शक्तिशाली देश द्वारा किसी अन्य देश पर आक्रमण किया जाता था। तो राष्ट्र संघ केवल निंदा प्रस्ताव पारित करता था। और मुक को दर्शक की तरह बैठा रहता था।
4. विजित राष्ट्रों में असंतोष - युद्ध के पश्चात हारे हुए देशों के भागों पर अधिकार कुछ विजेता राष्ट्रों को ही दिया जाता था। इससे अनेक राष्ट्र अप्रसन्न तथा असंतुष्ट रहते थे।