धर्म सुधार आन्दोलन के कारण
1. पुनर्जागरण का प्रभाव
धर्म सुधार आन्दोलन को पुनर्जागरण ने बहुत प्रभावित किया। इसने यूरोप के अन्धकार युग को समाप्त कर नवीन आदर्शों को जन्म दिया। उसने तार्किक प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया और यह स्पष्ट किया कि कोई बात इसलिए सही नहीं है कि वह चर्च का आदेश है तथा वह ईश्वरीय वाक्य है, बल्कि इसलिए सही है, क्योंकि वह तर्क और विचार की कसौटी पर खरी उतरती है। इस प्रवृत्ति के कारण लोगों ने अपने प्राचीन धार्मिक विश्वासों में परिवर्तन करने का निश्चय किया।
2. राजनीतिक कारण
सोलहवीं शताब्दी में यूरोप में इंग्लैण्ड, स्पेन, फ्रांस, हॉलैण्ड, ऑस्ट्रिया आदि राष्ट्रीय राज्यों में निरंकुश राजतन्त्र की स्थापना हो चुकी थी। राष्ट्रीय राज्यों का प्रधान राजा था। रोमन चर्च का प्रधान पोप नहीं चाहता था कि राजा राष्ट्रीय राज्य में सर्वेसर्वा रहे, क्योंकि वह सम्पूर्ण यूरोप के चर्चे का मुखिया स्वयं को मानता था। इसीलिए पोप प्रत्येक राज्य में चर्च के अधिकारियों की नियुक्ति करना अपना एकाधिकार समझता था। लेकिन राजा अपने राज्य में पोप के हस्तक्षेप को सहन करने के लिए तैयार नहीं था। ऐसी स्थिति में राजा और पोप के मध्य तनाव बढ़ने लगा और यह तनाव कालान्तर में धर्म सुधार आन्दोलन का प्रमुख कारण बन गया।
3. चर्च की अपार सम्पत्ति
मध्य युग में चर्च एक धनी संस्था बन गया था। उसके पास अपार सम्पत्ति थी। चर्च कोई कर राज्य को नहीं देता था; अतः राष्ट्रीय राजाओं ने राजकीय व्यय की , पूर्ति के लिए चर्च की सम्पत्ति को जब्त करने के प्रयास किए। ऐसी परिस्थिति में राज्य और चर्च के मध्य संघर्ष अनिवार्य हो गया।
४. चर्च के दोष :
मध्य युग में ही चर्च अनेक दोषों का शिकार हो चुका था। वह अनैतिकता के दलदल में बुरी तरह फंस गया था। पृथ्वी पर ईश्वर के दूत पोप ने अपने उच्च आदर्शों को भुलाकर विलासमय वे अनैतिक जीवन बिताना प्रारम्भ कर दिया था। पोप अलेक्जेण्डर बड़ा ही भ्रष्ट था। पोप लियो दशम ने अपनी विलासमयी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुमूल्य धार्मिक मूर्तियों तक को बेच दिया था। इतना ही नहीं, चर्च जनता से धर्म के नाम पर विभिन्न प्रकार के ‘कर वसूल करता था। किसानों को अपनी उपज का 1/10 भाग ‘टिथे’ नामक कर के रूप में चर्च को देना अनिवार्य था। मृतकों को अन्तिम संस्कार तथा अन्य धार्मिक कर्मकाण्डों के लिए पादरी जनता से बहुत ६१ वसूलते थे। पोप लियो दशम ने तो रोम के चर्च के निर्माण के नाम पर भारी धनराशि लेकर चर्च में नए पद बना दिए थे। उसने ‘पापमोचन पत्रों’ (Endulgances) की बिक्री भी प्रारम्भ कर दी थी। इन पत्रों को खरीदकर कोई भी अपराधी अपने अपराध या किए गए पाप से मुक्ति पा सकता था। इतना ही नहीं, पादरियों ने धन लेकर ‘स्वर्ग का टिकट’ तक देना आरम्भ कर दिया था। चर्च की इन बुराइयों ने धर्म सुधार आन्दोलन का मार्ग खोल दिया।
५. अन्य कारण
चर्च द्वारा सूदखोरी का विरोध, चर्च के अधिकारियों का भ्रष्ट जीवन तथा रिश्वतखोरी, छोटे और बड़े पादरियों में भेदभाव तथा हेनरी अष्टम के तलाक के प्रश्न में धर्म सुधार आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी।