कैथोलिक धर्म
ईसाई धर्म में दो सम्प्रदाय बन गए थे। पहला सम्प्रदाय रोमन कैथोलिक और दूसरा प्रोटेस्टेण्ट कहलाया। रोमन कैथोलिक सम्प्रदाय ईसाई धर्म के सिद्धान्तों का समर्थक है। इस सम्प्रदाय के अनुयायी रोम के पोप को अपना धर्मगुरु मानते हैं और उसकी प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अपना परम कर्तव्य समझते हैं। मध्य युग में रोमन कैथोलिक धर्म की शक्ति चरम सीमा पर पहुँच गई थी। रोमन कैथोलिक धर्म में सुधार कर प्रोटेस्टेण्ट धर्म की नींव रखी गई। प्रोटेस्टैण्ट मत को मानने वाले पोप की सत्ता को स्वीकार नहीं करते हैं। ये अपेक्षाकृत उदारवादी होते हैं।