सिन्धु घाटी सभ्यता
सिन्धु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है, इसका अनुमानित समय काल 2500 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व है। सिन्धु घाटी सभ्यता कांस्ययुगीन (ब्रोंज ऐज) थी। इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। यह सभ्यता नगरीय थी। इस सभ्यता का विस्तार भारत के पश्चिम व उत्तर पश्चिम तथा पाकिस्तान के पंजाब व सिंध प्रांत में मौजूद थी। 1921 में सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थान पर खनन के इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। 1826 ईसवी में चार्ल्स मेंसर्न ने हड़प्पा में किसी प्राचीन सभ्यता के होने का उल्लेख किया। वर्ष 1921 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्शल के निर्देश पर हड़प्पा स्थान के बारे में पता चला।
हड़प्पा सभ्यता में सर्वाधिक साक्ष्य जीवाश्म के रूप में मोहनजोदड़ो से मिले हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता में 4 प्रमुख प्रजातियों भू-मध्यसागरीय, प्रोटो-ऑस्ट्रेलियाड, मोंगोलोइड व अल्पाइन के निवास के संकेत मिलते हैं। इनमे भूमध्यसागरीय प्रजाति के लोग सर्वाधिक हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता का भौगोलिक विस्तार पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर उत्तर प्रदेश में था। इस सभ्यता का उत्तरी छोर जम्मू के मांडा में जबकि दक्षिणी छोर महाराष्ट्र के दैमाबाद में स्थित था। इस सभ्यता का पूर्वी छोर उत्तर प्रदेश के आलमगीरपुर व पश्चिमी छोर बलूचिस्तान के मकरान तट पर स्थित है। यह एक त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी, यह सभ्यता लगभग 12,99,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई थी। यह क्षेत्र मेसोपोटामिया और मिस्र से भी बड़ा है।