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Pratham Singh in इतिहास
भवन निर्माण की उत्तर भारतीय तथा दक्षिण भारतीय शैली के बारे में लिखिए।

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Deva yadav

भवन निर्माण की उत्तर भारतीय तथा दक्षिण भारतीय शैली

मोटे तौर पर भवन निर्माण की दो शैलियाँ थीं- उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय। इनमें भेद मुख्यतः मन्दिर के शिखर के आकार में देखा जाता है। उत्तर भारतीय शिखरों का आकार टेढ़ी रेखाओं से घिरी हुई ठोस मीनार की भाँति रहता था। मध्य में खुला हुआ तथा ऊपर एक बिन्दु पर आकर समाप्त हो जाता था। उदाहरणतः लिंगराज मन्दिर, भुवनेश्वर।

दक्षिण भारतीय शिखर पिरामिड की तरह दिखते थे, जिसमें कई खण्ड होते थे। प्रत्येक खण्ड क्रमशः ऊपर की ओर अपने नीचे वाले खण्ड से छोटा होता जाता था, और सबसे ऊपर जाकर छोटे तथा गोलाकार टुकड़े में हो जाता था। दक्षिण भारत के मन्दिरों में स्तम्भों का मुख्य स्थान है जबकि उत्तर भारत के मन्दिरों में इनका सर्वथा अभाव दिखाई देता है।

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