बृहत् संचलन निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है
1. मन्द संचलन-इसमें मलबा संचलन इतना मन्द होता है कि इसका आभास करना कठिन होता है। | और दीर्घकाल के अवलोकन या निरीक्षण से ही इसका पता चलता है। इसमें सम्मिलित पदार्थ में शैल चूर्ण मृदा की मात्रा अधिक होती है।
2. तीव्र संचलन-ये संचलन आर्द्र जलवायु वाले प्रदेशों में निम्न से लेकर तीव्र ढालों में अधिक होते। हैं। इस संचलन में चिकनी मिट्टी, कीचड़ प्रवाह एवं मलबा पदार्थों की प्रधानता होती है।
3. भू-स्खेलन-भू-स्खलने अपेक्षाकृत तीव्र एवं अवगम्य संचलन है। इसमें स्खलित होने वाले पदार्थ प्रायः शुष्क होते हैं। भू-स्खलन में पदार्थों के संचलन के प्रकार के आधार पर कई प्रकार के स्खलन पहचाने जा सकते हैं; जैसे कि चित्र 6.3 में दिखाए गए हैं। (ढाल के सन्दर्भ में भू-स्खलन के कई प्रकार हैं; जैसे—अवसर्पण, शैलसर्पण आदि)।
हमारे देश में भू-स्खलन की घटना हिमालय क्षेत्र में अधिक देखी जाती है। इसका मुख्य कारण हिमालय विवर्तनिकी सक्रियता एवं ढाल के कारण गुरुत्वाकर्षण शक्ति की प्रबलता है।