ज्वार-भाटा के प्रकार
- दीर्घ अथवा उच्च ज्वार (Spring Tide)
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों में एक सीध में होते होते हैं. इन तिथियों में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के संयुक्त प्रभाव के कारण ज्वार की ऊँचाई सामान्य ज्वार से 20% अधिक होती है. इसे वृहद् ज्वार या उच्च ज्वार कहते हैं.
- लघु या निम्न ज्वार (Neap Tide)
शुक्ल या कृष्ण पक्ष की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के केंद्र पर समकोण बनाते हैं. इस कारण सूर्य और चंद्रमा दोनों ही पृथ्वी के जल को भिन्न दिशाओं में आकर्षित करते हैं. फलतः इस समय उत्पन्न ज्वार औसत से 20% कम ऊँचे होते हैं. इसे लघु या निम्न ज्वार कहते हैं.
- दैनिक ज्वार (Diurnal Tide)
स्थान पर दिन में केवल एक बार ज्वार-भाटा आता है, तो उसे दैनिक ज्वार-भाटा कहते हैं. दैनिक ज्वार 24 घंटे 52 मिनट के बाद आते हैं. मैक्सिको की खाड़ी और फिलीपाइन द्वीप समूह में दैनिक ज्वार आते हैं.
- अर्द्ध-दैनिक ज्वार (Semi-Diurnal)
जब किसी स्थान पर दिन में दो बार (12 घंटे 26 मिनट में) ज्वार-भाटा आता है, तो इसे अर्द्ध-दैनिक ज्वार कहते हैं. ताहिती द्वीप और ब्रिटिश द्वीप समूह में अर्द्ध-दैनिक ज्वार आते हैं.
- मिश्रित ज्वार (Mixed Tide)
जब समुद्र में दैनिक और अर्द्ध दैनिक दोनों प्रकार के ज्वार-भाटा का अनुभव लेता है, तो उसे मिश्रित ज्वार-भाटा कहते हैं.
- अयनवृत्तीय और विषुवत रेखीय ज्वार
चंद्रमा के झुकाव के कारण जब इसकी किरणें कर्क या मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं, जो उस समय आने-वाले ज्वार को अयनवृत्तीय कहते हैं. इस अवस्था में ज्वार और भाटे की ऊँचाई में असमानता होती है. जब चाँद की किरणें विषुवत रेखा पर लम्बवत पड़ती है तो उस समय जवार-भाटे की स्थिति में असमानता आ जाती है. ऐसी अवस्था में आने वाले ज्वार को विषुवत रेखीय ज्वार कहते हैं.