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बृहत संचलन का अर्थ बताइए तथा इसमें प्रक्रिया कारकों का उल्लेख कीजिए।

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बृहत संचलन

गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारक चट्टान या चट्टानी पदार्थ का ढाल के अनुरूप स्थानान्तरण संचलन या बृहत् संचलन कहलाता है। इस प्रकार के मलवा संचलन में संचलन की गति मन्द से. तीव्र हो सकती है, जिनके अन्तर्गत, विसर्पण बहाव, स्खलन एवं पतन (Fall) सम्मिलित होता है। दूसरे शब्दों में, बृहत् संचलन का तात्पर्य है कि वायु, जल, हिम ही अपने साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक मलवा नहीं ढोते, अपितु मलवा भी अपने साथ वायु, जल या हिम ले जाता है। बृहत् संचलन में गुरुत्वाकर्षण शक्ति सहायक होती है तथा कोई भी भू-आकृतिक कारक; जैसे–प्रवाहित जल, हिमानी, वायु, लहरें एवं धाराएँ बृहत् संचलन की प्रक्रिया में सीधे ही सम्मिलित नहीं होते हैं साथ ही इसमें अपरदन भी सम्मिलित नहीं होता है। यद्यपि पदार्थों का संचलन गुरुत्वाकर्षण के सहयोग से एक से दूसरे स्थान को होता रहता है। बृहत् संचलन में अपरदन के अतिरिक्त अपक्षय भी 

अनिवार्य नहीं होता है, परन्तु अपक्षय बृहत् संचलन को बढ़ावा अवश्य देता है। इसीलिए बृहत्.संचलन अपक्षयित ढालों पर अनपक्षयित पदार्थों की अपेक्षा बहुत अधिक सक्रिय होता है। अतः असम्बद्ध कमजोर चट्टानी पदार्थ छिछले संस्तर वाली शैलें, भ्रंश, तीव्रता से झुके संस्तर खड़े भृगु या तीव्र ढाल, पर्याप्त वर्षा, वनस्पति अभाव और गुरुत्वाकर्षण बल बृहत् संचलन में विशेष रूप से सहायक हैं। यह तथ्य चित्र सं० 6.2 से भी स्पष्ट है।

सक्रिय कारक-बृहत् संचलन की सक्रियता में निम्नलिखित कारक मुख्य रूप से सम्मिलित होते हैं

  1. प्राकृतिक एवं कृत्रिम साधनों द्वारा ऊपर के पदार्थों के टिकने के आधार का हटना।
  2. ढाल प्रवणता एवं ऊँचाई में वृद्धि।
  3. प्राकृतिक एवं कृत्रिम भराव या अत्यधिक वर्षा के कारण उत्पन्न अतिभार।
  4. मूल ढाल की सतह से भार या पदार्थ का हटना।
  5. भूकम्प, मशीनी कम्पन या विस्फोट।
  6. अत्यधिक प्राकृतिक रिसावे।
  7. झीलों, जलाशयों एवं नदियों से भारी मात्रा में जल का निष्कासन, परिणामस्वरूप ढालों एवं नदी तटों के नीचे से जल का मन्द गति से बहना।
  8. वनस्पति का अत्यधिक विनाश।

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