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Pratham Singh in भूगोल
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हिमोढ कैसे बनते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?

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Deva yadav
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हिमनद अपने साथ शिलाखण्ड, कंकड़, पत्थर, बालू एवं मिट्टी के अवसाद को बहाकर लाता है। ये पदार्थ हिमानी के अपरदन कार्य में सहायता करते हैं। जब यह हिम पिघल जाती है तब जल धाराओं के रूप में बहकर आगे की ओर निकल जाता है, परन्तु अवसाद वहीं एकत्र हो जाती है अर्थात् यह अवसाद हिमानी के मार्ग तथा किनारों पर जम जाती है। इस एकत्रित अवसाद के हिम के साथ प्रवाहित होने की प्रक्रिया को हिमोढ़ या मोरेन (Moraines) कहते हैं। हिमानी द्वारा किये गये। निक्षेपण विभिन्न प्रकार के होते हैं। हिमोढ़ में बालू, मिट्टी, कंकड़, पत्थर से लेकर विशाल शिलाखण्ड तक होते हैं। जब हिमानी समाप्त होती है तो वह घाटी के विभिन्न स्थानों पर हिमोढ़ों का निर्माण करती है। अत: स्थिति। के अनुसार हिमोढ़ को निम्नलिखित भागों में विभाजित कर सकते हैं
1. पाश्विक हिमोढ़ (Lateral Moraines)-हिमानी के दोनों पाश्र्वो के सहारे एक सीधी रेखा में निक्षेपित मलबा जो शिलाखण्ड, बालू, मिट्टी तथा पत्थरों के अर्द्ध-चन्द्राकार ढेर के रूप में होता है, पाश्विक हिमोढ़ कहलाता है। ऐसे हिमोढ़ों का आधिक्य ग्रीनलैण्ड एवं अलास्का में अधिक पाया जाता है। अलास्का में कई स्थानों पर हिमोढ़ की ऊँचाई 1000 फुट तक देखी गयी है, परन्तु इनकी सामान्य ऊँचाई 100 फुट तक ही पायी जाती है।

2. मध्यस्थ हिमोढ़ (Medial Moraines)-दो हिमनदों के मिलन-स्थल पर उनके पार्श्व परस्पर जुड़ जाते हैं। इस प्रकार उनके मध्य में जमे हुए अवसाद को मध्यस्थ हिमोढ़ की संज्ञा दी जाती है। अत: दोनों हिमानियों के मध्य में कंकड़-पत्थरों की श्रृंखला के रूप में स्थित अवसाद को मध्यस्थ हिमोढ़ कहा जाता है।

3. तलस्थ हिमोढ़ (Ground Moraines)-हिमानी अपनी तली के द्वारा पर्याप्त.अवसाद ढोती है। हिम के पिघलने पर यह अवसाद घाटी की तली में चारों ओर बिखरा रह जाता है, जिसे तंलस्थ हिमोढ़ के नाम से पुकारा जाता है। दक्षिणी कनाडा में इस प्रकार की हिमानियाँ तथा हिमोढ़ अधिक पाये जाते हैं। तलस्थ हिमोढ़ के क्षेत्रों में झीलें एवं दलदल बहुत मिलती हैं।

4. अन्तिम हिमोढ़ (Terminal Moraines)-हिमनद की अन्तिम सीमा जब पिघलने लगती है तो हिमनद द्वारा लाया गया बहुत-सा पदार्थ वहाँ अर्द्ध-चन्द्राकार रूप में एकत्रित होने लगता है। इस | जमाव को अन्तिम हिमोढ़ कहते हैं। इन हिमोढ़ों को निक्षेप प्रायः श्रेणियों के रूप में होता है तथा इनका आकार भी अर्द्ध-चन्द्राकार रूप में होता है।

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