ऋतु-अपक्षय का महत्त्व अथवा मानव जीवन पर प्रभाव
ऋतु-अपक्षय अपनी निम्नलिखित उपादेयता द्वारा अपनी महत्ता सिद्ध करता है
1. उपजाऊ मिट्टी का निर्माण-ऋतु-अपक्षय शैलों के विखण्डन द्वारा कृषि के लिए उपयोगी तथा उपजाऊ मिट्टी का निर्माण करता है। उपजाऊ मिट्टी कृषि का आधार है और कृषिगत उपजें मानव-जीवन का आधार होती हैं। ऋतु-अपक्षय उपजाऊ मिट्टी का निर्माण करके मानव को पर्याप्त हित करता है।
2. खनिज पदार्थों की उपलब्धता-शैलों के टूटने से चूना, गन्धक, चाक तथा जिप्सम आदि उपयोगी खनिजों का निर्माण होता है। ये खनिज बड़े उपयोगी होते हैं।
3. समतल मैदानों का निर्माण-ऋतु-अपक्षय के कारक अपने द्वारा घर्षित अवसाद अन्यत्र ले | जाकर तथा बिछाकर समतल मैदानों का निर्माण कर कृषि, उद्योग, परिवहन तथा मानव बसाव के रूप में मानव का हित सम्पादन करते हैं।
4. धरातल के स्वरूप में परिवर्तन-नदियाँ, हिमनद्, पवन तथा सागरीय लहरें अपक्षये द्वारा धरातल का स्वरूप ही बदल डालते हैं। इसके द्वारा झरने, घाटी तथा बालू के टीलों का निर्माण होता है जो अनेक प्रकार से उपयोगी होते हैं।
5. झीलों का निर्माण-अपक्षय के कारक भूस्खलन द्वारा गर्त बनाते हैं जिनमें जलभराव से झील बन जाती है। झीलें अनेक प्रकार से मानव का हित करती हैं।