सामाजिक वानिकी के महत्त्व
सामाजिक वानिकी ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास का कार्यक्रम ही नहीं है, बल्कि यह पारितन्त्र के सन्तुलन में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। भारत में सामाजिक वानिकी द्वारा ग्रामीण।जनसंख्या जलावन लकड़ी, छोटी-छोटी वनोत्पाद और इमारती लकड़ी प्राप्त करके आर्थिक विकास को बढ़ाती है। भारत में यह कार्यक्रम 1976 में राष्ट्रीय कृषि आयोग द्वारा शुरू किया गया था। इसके अन्तर्गत कई प्रकार के महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम चलाए गए हैं।
सामाजिक वानिकी किसानों को अपनी भूमि पर वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करता है। इस कार्यक्रम द्वारा सड़कों व नहरों के किनारे खाली का वनों के लिए उपयोग होता है तथा बंजर और ऊपर भूमि में सुधार का प्रयास भी किया जाता है।