जैविक अपक्षय
अपक्षय की क्रिया में जैविक तत्त्वों का भी सहयोग रहता है। मनुष्य, जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति द्वारा किया गया अपक्षय जैविक अपक्षय कहलाता है। यह निम्नलिखित प्रकार का होता है
(क) जीव-जन्तुओं द्वारा अपक्षय-अनेक जीव-जन्तु; जैसे-लोमड़ी, गीदड़, केंचुए, चूहे, सर्प, दीमक आदि शैलों में बिल बनाकर निवास करते हैं। उनके द्वारा खोदी गई मिट्टी को जल, वायु, | हिमानी बहाकर ले जाती है जिससे शैलों का अपक्षय हो जाता है। जीव-जन्तुओं द्वारा भौतिक तथा रासायनिक दोनों ही प्रकार का अपक्षय सम्पन्न होता है।
(ख) वनस्पति द्वारा अपक्षय-अपक्षय में पेड़-पौधे भी सहयोग देते हैं। इनके द्वारा भी भौतिक एवं रासायनिक दोनों प्रकार का अपक्षय किया जाता है। प्रायः पेड़-पौधों की जड़ें अपनी वृद्धि द्वारा चट्टानों को तोड़ने का कार्य करती हैं, जो इनका भौतिक कार्य है। वनस्पति के अंश सड़-गलकर रासायनिक अपक्षय उत्पन्न करते हैं।
(ग) मानव द्वारा अपक्षय-मनुष्य भी अपनी रचनात्मक, आर्थिक क्रियाओं द्वारा शैलों को विघटित करता रहता है। वह रेलवे लाइन बिछाने, नहरें एवं सुरंग खोदने तथा खनिज पदार्थों को भू-गर्भ से निकालने के लिए धरातल को खोदता है। इस प्रकार शैलों का संगठन ढीला पड़ जाता है, जिससे कालान्तर में शैलें अपरदित हो जाती हैं।