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Sarthak yadav in सामान्य हिन्दी
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कविता को विडंबना के बारे में बताओ |

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Sarthak yadav
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कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने यह कहा है कि गोधूलि को अपनी कविता का विषय बनाकर कितने ही कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है परंतु सच्चाई तो यही है कि गोधूलि पूरी तरह से गाँवों की संपत्ति है जो शहरों के हिस्से में नहीं आई है। शहरों में तो बस धूल धक्कड़ है। यहाँ धूलि होने पर भी गोधूलि कहाँ हो सकती है। इसकी एक विडंबना यह भी है कि कवियों ने अपनी कविता में जिस धूल को अमर किया है वह हाथी-घोड़ों के चलने से दौड़ने वाली धूल नहीं, बल्कि गायों और गोपालकों के पैरों से उठने वाली धूलि है।

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