पक्ष में विचार-मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार ही विभिन्न आविष्कार करता है। उसे अपने शरीर को जीवित, सुरक्षित और सुखी रखने के लिए विभिन्न सामानों और उपकरणों की जरूरत पड़ती है। इसलिए वह कपड़ा, आग, सुई-धागा, फर्नीचर आदि सामानों का आविष्कार करता है। रेडियो, टी.वी., रेल, बस आदि भी मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। परंतु मनुष्य के पास मन भी है। मन में अनंत जिज्ञासाएँ हैं, इच्छाएँ हैं, कामनाएँ हैं। इनकी द्विगु पूर्ति के लिए भी मनुष्य बहुत-से आविष्कार करता है। उदाहरणतया, महात्मा बुद्ध ने घर-बार छोड़कर यह जानने का प्रयत्न किया कि मनुष्य के दुखों का मूल कारण क्या है? संगीतकारों ने मनुष्य के हृदय के तारों को झंकृत करने के लिए स, रे, ग, म, प, ध, नि आदि सुरों का आविष्कार किया। हमारे ऋषि-मुनि परमात्मा का रहस्य जानने के लिए जीवन-भंर लगे रहे। हजारों सालों से परमात्मा को जानने का प्रयत्न चल रहा है। अतः हम कह सकते हैं कि सारे आविष्कारों की मूल प्रेरणा केवल भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति ही नहीं होती। । विपक्ष में विचार- मेरे विपक्षी वक्ता ने विषय के पक्ष में जो-जो तर्क दिए हैं, वे भ्रामक हैं। मनुष्य की सबसे बड़ी चिंता यह है कि वह भौतिक रूप से सुखी कैसे रहे? मेरे मित्र ने बुद्ध का उदाहरण दिया। बुद्ध ने संसार का त्याग किया संसार के दुखों का मूल कारण जानने के लिए। उनकी जिज्ञासा भी यही थी कि ये भौतिक पदार्थ आखिर दुखदायी क्यों हो जाते हैं? इस संसार को कैसे सुखी बनाया जा सकता है। उन्हें भी आखिरकार यही प्रतीत हुआ कि भौतिक ज़रूरतों के बिना संसार नहीं चल सकता। इसलिए उन्होंने संसार को अनिवार्य माना।