पक्ष में विचार-क्रोध केवल नकारात्मक भाव नहीं है। वह भी निर्माण के काम आता है। जैसे हथौड़ा और बुलडोजर केवल भवन तोड़ने का ही काम नहीं करते, बल्कि वे भवन बनाने में सहयोग करते हैं। उसी भाँति क्रोध बुरी बातों को दूर करने में हमारी सहायता करता है। यदि दुर्योधन द्रौपदी के वस्त्र खींचती रहे और लोग बिना क्रोध किए देखते रहें तो फिर न्याय की रक्षा कैसे होगी? यदि कोई गुंडा आपके घर आकर गालियाँ बकता रहे और आप शांत बने रहें तो गुंडा चुप कैसे होगा? यदि परशुराम बढ़-चढ़कर बकझक करते रहें और लक्ष्मण का सिर उतारने को तैयार हो जाएँ तो फिर उन्हें कौन रोकेगा? इसका एक ही उत्तर है-क्रोध। ऐसे समय में क्रोध रक्षक की भूमिका निभाता है। वह स्वभाव से क्षत्रिय है, सिपाही है।