बच्चन जी के अलावा लेखक को अनेक व्यक्तियों का सहयोग विभिन्न रूपों में मिला। दिल्ली आकर उकील आर्ट स्कूल में उसे गुरुवर श्री शारदा चरण जी ‘उकील’ का सहारा मिला, जिन्होंने बिना फ़ीस लिए ही दाखिला दिया। चित्रकला सीखते समय उसके भाई तेज बहादुर का आर्थिक सहयोग मिला। वे कभी-कभी रुपये भेज दिया करते थे। इलाहाबाद में लेखक को ‘पंत’ और ‘निराला जी’ का सहयोग मिला। पंत जी के सहयोग से उसे हिंदू बोर्डिंग हाउस में फ्री सीट मिल गई तथा इंडियन प्रेस से अनुवाद का काम मिल गया। उसे लेखन के लिए मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन भी इन कवियों से मिला। लेखक को अपनी ससुरालवालों से भी सहयोग मिला। वहाँ उसने-कंपाउंडरी सीखी और नुस्खे पढ़ना सीखा। इसके अलावा लेखक के भाई के मित्र ब्रजमोहन से भी उसे सहयोग मिला, जिन्होंने बच्चन जी से देहरादून में उसकी मुलाकात करवाई।