लेखक ने जिस समय देहरादून से दिल्ली आने का जिक्र किया है उस समय वह बेरोजगार था। वह कोई काम नहीं करता था। उसकी इस स्थिति पर घर के किसी सदस्य ने व्यंग्यपूर्वक ऐसी कठोर बात कह दी होगी जिससे उसका स्वाभिमान आहत हो गया होगा जिसके कारण वह उसी हाल में घर छोड़कर दिल्ली आ गया। बच्चन जी का स्वभाव अत्यंत दयालु था। उनका हृदय मक्खन-सा मुलायम था।