कबीर अनपढ़ थे ‘परंतु अनुभवी एवं ज्ञानी बहुत थे। वे भाषा के प्रयोग में नियमों के पालन या अवहेलना करने की परवाह किए बिना’ बिना लाग-लपेट अपनी बात कह जाते हैं। उनकी भाषा में एक ओर अवधी के शब्द मिलते हैं तो दूसरी ओर पहाड़ी और राजस्थानी के शब्द भी भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इसके अलावा उनकी भाषा में आम बोलचाल के शब्दों का भी प्रयोग है।