कबीर की मृत्यु के पश्चात उनकी समाधि मगहर में बनाई गई। संत कबीर ने मगहर में अपनी देह छोड़ी थी। उस समय यह मान्यता थी कि काशी में मरने से मोक्ष और मगहर में मरने वालों को नर्क मिलता है। कबीर पूरी जिंदगी काशी में रहे, लेकिन इस मान्यता को खत्म करने के लिए अपने जीवन के आखिरी दिनों में मगहर चले गए और वहीं अपनी नश्वर देह का त्याग किया।