आर्थिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से संचालित होने को सुनिश्चित करने के लिए बाजार के स्वरूप का विश्वव्यापी होना आवश्यक होता है। व्यापारियों, श्रमिकों, पूँजीपतियों, आम मध्यम वर्ग तथा आम उपभोक्ताओं के हितों को बाजार का विश्वव्यापी स्वरूप सुरक्षित रखता है। किसानों को अपनी उपज की अच्छी कीमत प्राप्त होती है क्योंकि बाजार ज्यादा प्रतिस्पर्धी होता है। कुशल श्रमिकों को विश्व स्तर पर पहचान तथा महत्त्व और आर्थिक लाभ इसी वैश्विक बाजार में प्राप्त होता है । रोजगार के नये अवसर विश्व बाजार में सृजित होते हैं। आधुनिक विचार और चेतना के प्रसार में भी इसका बड़ा महत्त्व होता है।