संसाधनों का अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग, विविध सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देती है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता है। संसाधनों का नियोजित एवं विवेकपूर्ण उपयोग ही संरक्षण कहलाता है। प्राचीन काल से ही संसाधनों का संरक्षण समाज-सुधारकों, नेताओं, चिंतकों एवं पर्यावरणविदों के लिए यह चिन्तनीय एवं ज्वलंत विषय रहा है। वर्तमान में मेघा पाटेकर का नर्मदा बचाओ अभियान, सुन्दर लाल बहुगुणा का चिपको आंदोलन | संसाधन संरक्षण की दिशा में अति सराहनीय कदम है।