प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के उपाय
मृदा का संरक्षण
मृदा की बहुत बड़ी हानि अपरदन से होती है। मृदा के अपरदन को रोकने के लिए फसल का 10-15 से०मी० तक डंठल छोड़कर काटना चाहिए। जिससे वायु वेग का प्रभाव न पड़े। क्योंकि मृदा का अपरदन वायु द्वारा भी होता है। पशुचारण पर रोक लगाकर तथा खेतों में मेड़ बनाकर मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।
वृक्षों का संरक्षण
औद्योगिक क्रांति के बाद वनों का बड़े पैमाने पर ह्रास हुआ है, अतः वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर वन संपदा की वृद्धि की जा सकती है। वृक्षारोपण द्वारा मिट्टी के कटाव को भी कम किया जा सकता है।
खनिज संरक्षण
खनिजों के संरक्षण के लिए इनका बहुत सोच-विचार कर ही उपयोग करना चाहिए। दुर्लभ या कम मिलने वाले खनिजों के लिए इनके विकल्पों को खोजा जाना चाहिए। जैसे धातुओं । के स्थान पर प्लास्टिक का उपयोग करके खनिजों का संरक्षण किया जा सकता है।
जल का संरक्षण
जल का संरक्षण जीवन का संरक्षण है। जल का प्राकृतिक स्रोत वर्षा है। वर्षा का जल प्रवाहित होकर नदियों एवं नालों में पहुँचता है। वर्षा के जल के उपयोग के लिए बाँध बनाकर इसे जमा किया जा सकता है। नहरों को पक्का करके तथा टिकिल सिंचाई द्वारा जल के उपयोग को कम किया जा सकता है। घरों में पानी का सीमित प्रयोग कर जल का संरक्षण किया जा सकता है।