मौलाना अबुल कलाम आजाद का देश को स्वतन्त्रता दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने ‘मुस्लिम लीग’ की नीतियों का विरोध करते हुए भारतीय मुसलमानों को राष्ट्रीय धारा में जोड़ने का अथक् प्रयास किया। उन्होंने अंग्रेजों की ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति का प्रबल विरोध किया। भारतीय मुसलमानों को जागृत करने के लिए आजाद ने ‘अल हिलाल’ नामक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया। यह पत्र मुसलमानों में अत्यधिक लोकप्रिय था। 1916 ई० में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के आपसी समझौते में उनका सराहनीय सहयोग था। उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया, जिसके फलस्वरूप उन्हें 1 वर्ष की सजा हुई। 1923 ई० के कांग्रेस अधिवेशन में उन्हें अध्यक्ष चुन लिया गया। 1930 ई० में जब गांधी जी ने ‘सविनय अवज्ञा-आन्दोलन’ चलाया तो आजाद ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। 1940 ई० से 1946 ई० तक वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभापति रहे। 1947 ई० की अन्तरिम सरकार में वे शिक्षामंत्री रहे। स्वतंत्र भारत में 1958 ई० तक वे लगातार शिक्षामंत्री के पद पर बने रहे। उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘इण्डिया विन्स. फ्रीडम’ थी।