in सामान्य हिन्दी
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हिन्दी साहित्य के विकास में भक्तिकाल के योगदान का उल्लेख कीजिए।

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हिन्दी साहित्य के विकास में भक्तिकाल के योगदान 

भावों की उदात्तता, महती प्रेरकता, अनुभूति-प्रवणता, लोकहित का मुखरित स्वर, भारतीय संस्कृति का मूर्तिमान रूप, समन्वय की विराट् चेष्टा तथा कलापक्ष की समृद्धि इस काल की ऐसी विशेषताएँ हैं, जो किसी अन्य काल के काव्य में इतनी उच्च कोटि की नहीं मिलतीं। इसीलिए भक्तिकाल को हिन्दी काव्य को स्वर्ण युग कहा जाता है।

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