in सामान्य हिन्दी
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हिन्दी नाटक के विकास में जयशंकर प्रसाद के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।

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हिन्दी नाटक के विकास में जयशंकर प्रसाद के योगदान 

प्रसाद जी ने भारतीय और पाश्चात्य नाट्य-कला के तत्वों को मिलाकर एक नवीन शैली का विकास किया। इनके सामाजिक एवं ऐतिहासिक नाटकों में संघर्ष की प्रधानता है तथा मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण के साथ नवीन शैली का प्रयोग किया गया है। साहित्यिकता एवं मंचीयता इनके नाटकों की विशेषता है।


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Hindi natak ke Vikas mein Jaishankar Prasad ka kya yogdan hai bataiye

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इनके नाटको में भारतीय संस्कृति की वैभवशाली प्रस्तुति देखनी को मिलती है ।
इनके नाटकों में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना को इतिहास की पृष्ठ भूमि में दर्शाया हुआ है।
इनके नाटक भावात्मक , ऐतिहासिक और पोराणिकता से संबंधित होते है।

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