धर्म सुधार आंदोलन में लूथर के योगदान
मार्टिन लूथर द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत को लूथरवाद कहा जाता है लूथर का विश्वास था कि ईसा मसीह आौर बाइबिल में अटूट आस्था के द्वारा मनुष्य अपनी मुक्ति का मार्ग खोज सकता है लुथर का मानना था कि पूजा, प्रायश्चित, प्रार्थना, ध्यान और क्षमा पत्रों की खरीद से कोई व्यक्ति अपने पापों से मुक्त नहीं हो सकता उसने पोप एवं चर्च की दिव्यता और निरंकुशता को नकार दिया लूथर ने बताया कि चर्च का अर्थ रोमन कैथोलिक या कोई अन्य विशिष्ट संगठन नहीं बल्कि ईसा में विश्वास करने वाले लोगों का एक समूह है चर्च में प्रचलित पोप कार्डिनल और विशप के पदानुक्रम को लूथर ने अस्वीकार कर दिया तथा पादरियों के ब्रम्हचर्य में रहने संबंधी विचारधारा को भी समाप्त करने का प्रस्ताव रखा इस प्रकार के विचार जर्मनी में अत्यधिक लोकप्रिय होने लगे तथा लूथरवाद प्रचलन में आया जर्मनी के राज्य धर्म के प्रशन को लेकर दो गुटों में विभाजित हो गए लूथर के समर्थक प्रोटेस्टेैट तथा विरोधी कैथोलिक कहलाए