कैमरे में बंद अपाहिज रघुवीर सहाय विरचित लोग भूल गए हैं काव्य संग्रह से ली गई है। इसमें कवि ने शारीरिक चुनौती को झेलते लोगों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दी है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि कैमरे के सामने अपने कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु ऐसे लोगों से बेतुके सवाल पूछे जाते हैं कि इसमें कवि ने एक तरह से पीड़ा के साथ दृश्य-संचार माध्यम के संबंध को रेखांकित किया है जो दिखाता है कि किस तरह करुणा जगाने के मकसद से शुरू हुआ कार्यक्रम किस तरह क्रूर बन जाता है। यह कविता ऐसे लोगों की तरफ संकेत करती है जो अपने दुख-दर्द, वेदना-यातना को बेचना चाहते हैं।